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कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। रांची सिविल कोर्ट ने 2008 में हुई नामकुम थाना मुठभेड़ मामले में कुंदन पाहन को बरी कर दिया। दरअसल, पुलिस की ओर से पेश किए गए 5 गवाहों ने कुंदन पाहन को पहचानने से इनकार कर दिया। बता दें कि साल 2008 में रांची के पास नामकुम थाने में पुलिस के साथ कुंदन पाहन दस्ते की मुठभेड़ हुई थी। 16 साल पुराने इस मामले में इनामी नक्सली बरी कर दिया गया।
रांची सिविल कोर्ट में हुई सुनवाई
बता दें कि बुधवार को रांची सिविल कोर्ट में न्याययुक्त एमसी झा के कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। कुंदन पाहन की ओर से अधिवक्ता ईश्वर दयाल किशोर ने पक्ष रखा। हैरानी की बात है कि 16 साल पुराने इस मामले में गवाहों ने कुंदन पाहन को पहचानने से इनकार कर दिया। ऐसे में कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में कुंदन पाहन को बरी कर दिया। गौरतलब है कि झारखंड में कुंदन पाहन की पहचान वर्षों तक एक कुख्यात नक्सली के रूप में रही। हालात ऐसे थे कि आत्मसमर्पण के पहले तक पुलिस के पास कुंदन पाहन की एक अदद तस्वीर तक नहीं थी।
2017 में कुंदन पाहन ने किया सरेंडर
गौरतलब है कि नक्सली कुंदन पाहन के खिलाफ 5 करोड़ नकदी और 1 किलो सोना लूटने, स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार और पूर्व मंत्री रमेश मुंडा की हत्या सहित दर्जनों मुकदमें दर्ज हैं। पुलिस ने कुंदन पाहन पर 15 लाख रुपये का इनाम रखा था। 2017 में कुंदन पाहन ने झारखंड सरकार की सरेंडर पॉलिसी के तहत आत्मसमर्पण किया था। 2019 में विधानसभा का चुनाव भी लड़ा।
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