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क्यों हो रहा श्री सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने का विरोध

क्यों हो रहा श्री सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने का विरोध
श्री सम्मेद शिखरजी(पारसनाथ पर्वत)को पर्यटन स्थल बनाने का विरोध
मुंबई,दिल्ली,अहमदाबाद सहित अन्य प्रदेशों में भी हो रहा विरोध
24 में से 20 तिर्थंकरों ने इसी स्थान पर पाया था मोक्ष
इस स्थल पर भक्ति करने से मानव को मिलती है मुक्ति
इस ‘श्री सम्मेद शिखरजी’ में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने पाया था मोक्ष
Bhagwan parshwnath
Bhagwan parshwnath
Temple at SriSammed Shikhar
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झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थिति श्री सम्मेद शिखरजी(पारसनाथ पर्वत)को पर्यटन स्थल बनाने के विरोध में जैन धर्मावलंबियों ने पूरे देशभर में विरोध करना शुरू कर दिया है। इस विरोध की आग मुंबई,दिल्ली,अहमदाबाद सहित अन्य प्रदेशों में फैल गई है। जिस कारण झारखंड सरकार के पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा का जोरदार विरोध किया जा रहा है। इसी कड़ी में विगत सात दिनों से जैन समाज नई दिल्ली में अनशन पर है।
क्या है सम्मेद शिखर जी
झारखंड का पारसनाथ पर्वत यानि श्री सम्मेद शिखरजी पूरे देश ही बल्कि विश्व का प्रमुख जैन तीर्थ स्थल है। इस ‘श्री सम्मेद शिखरजी’ में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने अपनी कठोर तपस्या से मोक्ष प्राप्त किया था। इसी पावन स्थल से जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था। जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से प्रथम तीर्थंकर भगवान ‘आदिनाथ’ अर्थात् भगवान ऋषभदेव ने कैलाश पर्वत पर, 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य ने चंपापुरी, 22वें तीर्थंकर भगवान नेमीनाथ ने गिरनार पर्वत और 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने पावापुरी में मोक्ष प्राप्त किया। शेष 20 तीर्थंकरों ने यहां के श्रीसम्मेद शिखर में मोक्ष प्राप्त किया।
  • Protest in Delhi
    Protest in Delhi
झारखण्ड सरकार क्या करना चाहती?
जैन आस्था के केंद्र के रूप में स्थापित श्रीसम्मेद शिखर को केद्र सरकार ने वर्ष 2019 में इको सेंसेटिव जोन घोषित किया था। यानि इस पारसनाथ पर्वत को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण व जलवायू परिवर्तन मंत्रालय ने इसे अधिसूचित किया था। जिसके तहत ऐसे क्षेत्र में वन एवं पर्यावरण को नुकसान पहुंचानेवाली किसी भी नई संरचना का निर्माण करना पूर्ण रूप से अवैध है। इसके बाद झारखंड सरकार ने एक संकल्प जारी कर जिला प्रशासन की अनुशंसा पर इस पवित्र स्थल को पर्यटन स्थल घोषित कर दिया है। जिसको लेकर जैन समाज का विरोध है।
इसका जैन संप्रदाय द्वारा विरोध क्यों हो रहा है?
जैन समुदाय इस पवित्र स्थल को पर्यटन स्थल घोषित करने के खिलाफ इसलिए है क्योकि उनका मानना है कि इससे तिर्थ को नुकसान पहुंचेगा। इलाके में मांस और शराब का सेवन होगा। इससे धर्मस्थल की मर्यादा प्रभावित होगी। हालांकि जैन धर्मांवलंबियों की मांगो को देखते हुए झारखंड सरकार ने भी अब पहल शुरू की है। जिसके तहत इससे जुड़े कई पहलुओं पर विचार कर रही ताकि जैन धर्मांवलंबियों की आस्था पर किसी प्रकार का चोट नहीं पहुंचे।
यहां भक्ति करने से मिलती है मोक्ष
जैन धर्म शास्त्रों के अनुसार यहां के सम्मेद शिखर तीर्थ की एक बार यात्रा करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद व्यक्ति को पशु योनि और नरक प्राप्त नहीं होता। यह भी लिखा गया है कि जो व्यक्ति सम्मेद शिखर आकर पूरे मन, भाव और निष्ठा से भक्ति करता है, उसे मोक्ष प्राप्त होता है और इस संसार के सभी जन्म-कर्म के बंधनों से अगले 49 जन्मों तक मुक्त वह रहता है।