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झारखंड के स्कूलों में जनवरी से मास्क लगाना अनिवार्य होगा। वहीं, स्कूलों में हाथ धोने से लेकर सेनेटाइजेशन की व्यवस्था रहेगी। सर्दी, खांसी और बुखार से पीड़ित बच्चे या शिक्षकों को स्कूल नहीं आने की छूट दी जाएगी। स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग फिर से गाइडलाइन जारी करने की तैयारी कर रहा है। इसी सप्ताह गाइडलाइन जारी कर दी जाएगी। कोरोना की अगल लहर को देखते हुए एहतियातन यह निर्णय लिया जा रहा है।
कोरोना की आंशका को देखते हुए विभाग फिर से पाठ्यक्रम जल्द से जल्द पूरा करने का भी शिक्षकों को निर्देश देगा। नौ से 11 जनवरी तक पहली से सातवीं के छात्र-छात्राओं की अर्द्धवार्षिक परीक्षा का शिड्यूल तय है। इसमें भी बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के आधार पर बैठाने की व्यवस्था की जाएगी। वहीं, स्कूलों में नियमित क्लास में भी इसका पालन होगा। हालांकि स्कूलों में मध्याह्न भोजन पूरी साफ-सफाई से बनता रहेगा। इस पर राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिये जाने के बाद दूसरा फैसला लिया जाएगा।
जैक को भी परीक्षा में सोशल डिस्टेंसिंग का देगा निर्देश
मार्च से झारखंड एकेडमिक काउंसिल की ओर से मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा ली जाएगी। उससे पहले फरवरी में प्रायोगिक परीक्षा होगी। इन परीक्षाओं में सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए परीक्षार्थियों को बैठाने की व्यवस्था की जाएगी। इस साल हुई मैट्रिक व इंटर की परीक्षा के लिए बनाए गए केंद्रों की संख्या के अनुसार ही सेंटर बनाए जाएंगे। इसको लेकर भी शिक्षा विभाग अगले महीने जैक को निर्देश देगा।
विवि को उच्च शिक्षा विभाग दे चुका है निर्देश
स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग से पहले उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने गाइडलाइन जारी कर दी है। विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों समेत बीआईटी सिंदरी, पॉलिटेक्निक व अन्य संस्थानों को निर्देश दिया है कि मास्क, सेनेटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग अनिवार्य रूप से करें। कार्यस्थल पर एक जगह पर पांच या इससे अधिक कर्मी न जुटें। तंबाकू, गुटखा का सेवन या फिर इधर-उधर थूकने पर प्रतिबंध रहेगा। कार्यस्थल पर गैर जरूरी आगंतुकों के आने पर रोक लगाने को कहा गया है।
मार्च 2020 से फरवरी 2022 तक बंद रहे थे स्कूल
कोरोना के कारण मार्च 2020 से फरवरी 2022 तक स्कूल बंद थे। पहली से पांचवीं तक के सरकारी स्कूल मार्च 2022 से खुले, जबक छठी से 12वीं के स्कूल फरवरी से ही खुले थे। इससे पहले दिसंबर 2020 में नौवीं से 12वीं के स्कूल खुले थे, लेकिन दो महीने के बाद ही बंद कर दिये गये। स्कूल बंद रहने के दौरान बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई हुई थी और उन्हें डिजिटल कंटेंट उपलब्ध कराए गये थे। मिड डे मील का चावल भी उपलब्ध कराया गया और बाद में कुकिंग कॉस्ट की राशि दी गई थी।
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