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झारखंड आंदोलन के आंदोलनकारियों को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा देने के लिए राज्य सरकार दूसरे राज्यों का अध्ययन कराएगी। विधायक सुदेश महतो के अल्पसूचित सवाल पर झारखंड विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने यह आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों से इस संबंध में रिपोर्ट मंगवाएंगे और उसी अनुसार काम करेंगे। सभी आंदोलनकारियों को चिह्नित कर सुविधा व राशि दी जाएगी।
झारखंड आंदोलनकारियों के हक में खड़ी है आजसू
विधायक सुदेश महतो ने कहा कि झारखंड के आंदोलनकारी हक के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने केवल पेंशन के रूप में पांच से सात हजार रुपये के लिए आंदोलन नहीं किया था। उन्हें चिह्नित किया जाए और उचित सम्मान दिया जाए। देश की आजादी की तर्ज पर झारखंड की आजादी के आंदोलनकारियों का दर्जा मिले। इस पर झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो समेत झामुमो के विधायकों ने भी सुदेश महतो की मांग का समर्थन किया। विधायक मथुरा महतो ने कहा कि आंदोलनकारी के दर्जा के लिए जेल जाने की बाध्यता को समाप्त किया जाए। सरकार इसे गंभीरता से ले। विधायक दीपक बिरुवा ने कहा कि सरकार आंदोलनकारियों के लिए छत्तीसगढ़ से सीख ले। सम्मान राशि भी कम दी जा रही है। 10 हजार से अधिक राशि दी जाए।
आंदोलनकारी को चिह्नित करने के लिए निश्चित अवधि
आंदोलनकारी के चिह्नित के लिए एक निश्चित अवधि हो। विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि 20-25 साल तक अलग राज्य के लिए आंदोलन हुआ। कई लोग अब तक मर गये हैं और कई हक के लिए भटक रहे हैं। जिन्होंने कुर्बानी दी है और जिनके आंदोलन की बदौतल अलग राज्य मिला उन्हें सम्मान मिले।
आंदोलन की उपज है झारखंड राज्य: स्पीकर
विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने कहा कि झारखंड आंदोलन की ही उपज है। आंदोलनकारियों की सोच विचार के किये गये गये आंदोलन से राज्य बना है। राज्य सरकार 22 वर्षों से इनके लिए निर्णय नहीं ले पायी है। हमारे लिये यह दुखद है। सरकार अब इसका पटाक्षेप करें और आंदोलनकारियों को उचित सम्मान दिया जाए।
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