झारखंड के गिरिडीह में श्री सम्मेद शिखर नहीं रहेगा ईको टूरिज्म क्षेत्र
केंद्र सरकार ने जैन समाज के दवाब के बीच बदला अपना फैसला
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झारखंड के श्री सम्मेद शिखर पर पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगा दी है। यह रोक केंद्र सरकार ने जैन समाज के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए लिया है। इस संबंध में केंद्रीय पर्यावरण व जलवायू परिवर्तन मंत्री भुपेंद्र यादव ने कहा है कि सम्मेद शिखर की पवितत्रता बरकरार रखी जाएगी। वहीं राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी केंद्रीय मंत्री से मामले पर निर्णय लेने का आग्रह किया था। केंद्र सरकार ने तीन वर्ष पूर्व जारी अपना आदेश 5 जनवरी वापस ले लिया। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से गुरुवार इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने एक समिति का भी गठन किया है। जिसमें जैन समुदाय के दो और स्थानीय जनजातीय समुदाय के एक सदस्य को शामिल किया जाएगा।
धार्मिक पर्यटन स्थल घोषित करने पर विचार कर रही थी सरकार
केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 ने श्री सम्मेद शिखर को टूरिज्म कम इको टूरिज्म एरिया घोषित किया था। जिसके बाद झारखंड सरकार श्री सम्मेद शिखर जी यानि पार्श्वनाथ (पारसनाथ) पर्वत को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र घोषित करने पर विचार कर रही थी। सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश पर पारसनाथ के साथ साथ देवघर, रजरप्पा, इटखोरी समेत कुछ और जगहों के लिए नीति तैयार करने पर विचार किया जा रहा था। लेकिन राज्य के पर्यटन स्थल घोषित करने के खिलाफ जैन धर्मावलंबियों ने इसका देश के कोने कोने में विरोध किया। जैन समाज का कहना था कि अगर यह क्षेत्र पर्यटन स्थल बनता है तो पारसनाथ में होटल और पार्क बनाए जाएंगे। लोग दर्शन के साथ छुट्टियां और पिकनिक मनाने भी आएंगे। इससे पवित्र पर्वत पर मांस-मदिरा आदि के सेवन करने से इसकी पवित्रता खत्म हो सकती है।