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देश के पब्लिक सेक्टर यूनिट में काम करनेवाले मजदूरों की दुर्दशा

देश के पब्लिक सेक्टर यूनिट में काम करनेवाले मजदूरों की दुर्दशा
देश के 10 महारत्न,14 नवरत्न और 32 मिनी रत्न कंपनियों के कर्मचारियों के भाग्यविधाता बने है नेता
कई यूनिट्स में ऐसे नेता जो न चुनकर आए और न ही मजदूरों की समस्या से अवगत हुए
अब इन पीएसयू में भी परिवर्तन की जरूरत,कर्मचारी अब स्वयं उठा रहे हैं मांग
PSU Units
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झारखंड/ क्रॉस फ्यूड 
भारत से अंग्रेज सन 1950 में देश छोड़कर चले गए। लेकिन उन्होंने अधिकारी और कर्मचारियों के लिए जो अगल अगल व्यवस्था बना दी थी। वह आज भी 70 वर्ष के बाद कायम है। देश के पब्लिक सेक्टर यूनिट में आज भी अधिकारियों के लिए वेतनमान से लेकर सभी सुविधाओं के लिए अगल व्यवस्था है जबकि कर्मचारियों के लिए अगल व्यवस्था कायम है। जिसपर आजतक किसी भी सरकार ने अधिकारियों और कर्मचारियों की खाई को दुर करने के लिए कोई काम नहीं किया है। जिस कारण मजदूरों का नीति निर्धारण वैसे मजदूर कर रहे हैं जो या तो सेवानिवृत हो गए है या फिर वे मजदूरों के बीच से चुन कर नहीं आए है। इस बात का खुलासा संसद में सांसद धीरज साहू के सवाल से हुआ है।
Rajya sabha latter
Rajya sabha latter
वेज निर्धारण के लिए नेताओं के भरोसे मजदूर
देश के पीएसयू में 591620 कर्मचारी के लिए अगल नियम
देशभर में 10 महारत्न 14 नवरत्न और 32 मिनी रत्न कंपनियों संचालित है। जिसके तहत 248 पब्लिक सेक्टर कंपनियां देश के विभिन्न राज्यों में स्थापित है। इन कंपनियों में 591620 कर्मचारी दिनरात काम कर देश के विकास में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित कर रहे है। जिसके तहत सुपरवाईजर की संख्या 76303,स्कील्ड कर्मचारियों की संख्या 336499 और अनस्कील्ड कर्मचारियों की संख्या 178818 है। राज्यसभा सांसद धीरज साहू के सवाल पर केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री भागवत किशनराव कराड संसद में जो बयान दिया है वह काफी चौंकानेवाला है।
प्रस्तूत है सांसद व मंत्री का सवाल जवाब-
प्रश्न–धीरज साहु(राज्यसभा सांसद)-सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत सभी गैर-कार्यकारी कर्मचारियो के लिए वेतन आयोग का गठन नहीं किए जाने का क्‍या कारण हैं। एक ही सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत अधिकारियो  की वेतन वृद्धि तो वेतन आयोग के द्वारा तय की जाती है जबकि  गैर-कार्यकारी  कर्मचारियो  की वेतन वृद्धि युनियन और प्रबंधन के बीच सौदेबाजी द्वारा किये जाने का क्‍या कारण हैं?
जवाब–भागवत किशनराव कराड(वित्त राज्यमंत्री)- सरकार द्वारा निर्धारित व्यापक मानण्डों के तहत  ट्रेड युनियनों व एसोसिएशन और संबंधित सीपीएसई के प्रबंधन के बीच हुए वेतन समझौते के अनुसार केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) के संघीकृत कामगारों/कर्मचारियो गैर-कार्यकारी कर्मचारियों  के वेतन में संशोधन किया जाता है। दिनांक 01.01.1992  से प्रभावी  वेतन संशोधन को मंजूरी देते हुए, सरकार ने फैसला किया कि सीपीएसई के अधिकारियों और गैर-संघबद्ध पर्यवेक्षकों का अगला वेतन संशोधन दिनांक
01.01.1997 से प्रभावी होगा और एक समिति की सिफारिशों के आधार पर होगा। इस निर्णय के अनुसरण में, सरकार ने दिनांक 10.12.1996  के संकल्प द्वारा  प्रथम वेतन संशोधन समिति (पीआरसी) की स्थापना की। तब से, वेतन, परिलब्धियो, प्रोत्साहन और उन्हे उपलब्ध अन्य लाभ को ध्यान में रखते हुए बोर्ड स्तर के अधिकारियो, बोर्ड स्तर के नीचे के अधिकारियो और सीपीएसई में गैर-संगठित पर्यवेक्षी कर्मचारियो के लिए वेतनमान, भत्ते, अनुलाभ और अन्य लाभों की संरचना की समीक्षा करने लिए और उन बदलावो का सुझाव देने के लिए जो वांक्षनिय , व्यवहार्य और वहनीय हो सकते है।
प्रश्न-धीरज साहु(राज्यसभा सांसद)-क्‍या एक ही पीएसयू में कार्यरत अधिकारियों एवं  कर्मचारियो  के वेतन एवं भत्‍तों  में वद्धि का प्रतिशत समान रूप से नीर्धारित किया जाता है, यदि नहीं, तो इसके क्‍या कारण हैं?
जवाब-भागवत किशनराव कराड(वित्त राज्यमंत्री )-एक ही सीपीएसई में कार्यरत अधिकारियो और कर्मचारियो के वेतन और भत्तों में वृद्धि का प्रतिशत समान रूप से निर्धारित नहीं किया जाता है क्योंकि कर्मचारियो  के दोनों सेट अलग-अलग इकाई हैं और समय-समय पर सरकार द्वारा जारी वेतन संशोधन के नियमो/अनुदेशों के अलग-अलग सेटों द्वारा शासित होते हैं। संघीकृत कामगारों/कर्मचारियो के वेतन संशोधन और कार्यपालकों तथा गैर-संघीकृतों के वेतन संशोधन की आवधिकता भी भिन्न भिन्न होती है।
देश में सरकारी नौकरी का समूह तथा उनका वेतन निर्धारण 
1. केंद्र सरकार के कर्मचारी/ अधिकारी (कैबिनैट सचीव से लेकर चपरासी तक)- वेतन आयोग के द्वारा इनका वेतन वृद्धि किया जाता है । अभी 7 वां वेतन आयोग का लाभ 2016 मे मिला है।
2. राज्य सरकार के अधिकारी /कर्मचारी -अधिकतर राज्य सरकारे , केंद्रीय वेतनमान को ही लागु कर देती है। कई राज्य सरकारे अपना वेतन आयोग बनाती है ।
3. स्थानीय निकायो के कर्मचारी-नगर निगम, नगरपालिका के कर्मचारियो का भी वेतन निर्धारण वेतन आयोग की अनुशंसा पर ही होता है।
4. पब्लिक सेक्टर के अधिकारियो का वेतन समझौता- सरकार सभी पब्लिक सेक्टर के सभी अधिकारियो के लिए पे रीविजन कमीटी बनाती है । कंपनी के लाभ के शर्त पर इनका वेतन वृद्धि किया जाता है । वर्तमान मे जनवरी 2017 से तीसरे पे रीविजन कमिटि की अनुशंसा लागु की गई है ।
5. दिहाड़ी मजदुरो /ठेका श्रमिको का वेतन वृद्धि – बहुत बड़े वोट बैंक होने के कारण सरकार इनका भी केंद्रिय स्तर तथा राज्य स्तर पर मजदुरी संशोधन करती है तथा साईड से इनको कई अप्रत्यक्ष लाभ देती है । भ्रष्टाचार के कारण इनको कई सरकारी सुविधा नही मिल पाती है ।