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पहले जहां नक्सली कैंप लगाते थे, आज वहां राज्यपाल पहुंचे पिकनिक मनाने

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रनिया, प्रतिनिधि।

झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस लगातार दूसरे दिन सपरिवार खूंटी की हंसी वादियों का नजारा लेने पहुंचे। सोमवार को राज्यपाल डाहू पंचायत में स्थित उलुंग जलप्रपात (पौराणिक नाम पेरवांघाघ) पहुंचे। लेकिन रास्ता नहीं होने के कारण उलुंग जलप्रपात पहुंचने से एक किमी पहले ही राज्यपाल की कार पार्क करनी पड़ी। राज्यपाल और उनके परिजन एक किमी पैदल चलकर उलुंग जलप्रपात पहुंचे। कोयल नदी का निर्मल पानी देख राज्यपाल और उनके परिजनों ने झरना में स्नान किया और नदी में तैराकी करते हुए खूब मस्ती की। उन्होंने उलुंग जलप्रपात से संबंधित अन्य जानकारियां डीसी शशिरंजन से ली। डीसी ने उलुंग जलप्रपात के विकास के लिए बनी योजना से राज्यपाल को अवगत कराया। राज्यपाल के आगमन को लेकर खूंटी एसपी अमन कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी अनिकेत सचान, अभियान एसपी रमेश कुमार, एसडीपीओ ओमप्रकाश तिवारी, सर्किल इंस्पेक्टर दिग्विजय सिंह, पंचायती राज पदाधिकारी उषा मुंडू के साथ पुलिस अवर निरीक्षक जीतेंद्र कुमार यादव, पंकज कुमार, सत्यजीत कुमार, संदीप कुमार और रोशन कुमार सहित जिला के कई छोटे-बड़े अधिकारी-पदाधिकारी मौके पर मौजूद थे।

पहले नक्सली अपना कैंप लगाते थे उलुंग गांव में

कभी उलुंग गांव घोर नक्सल प्रभावित हुआ करता था। यहां महीनों नक्सलियों का कैंप भी रहता था। लेकिन अब वह बात नहीं ही रह गया है। परिस्थितियां बदल गई है। आम लोग भी निर्भिक होकर उलुंग जलप्रपात की खुबसूरती को निहारने और नववर्ष के अवसर पर पिकनिक मनाने पहुंचते हैं। लेकिन यहां एक डर अब भी बनी हुई है, वह है जंगली हाथियों का डर। यह जलप्रपात कोयल नदी पर अवस्थित है। यहां कोयल नदी दो जिलों खूंटी और सिमडेगा की सीमा रेखा है। पश्चिम की ओर बानो प्रखंड का मनीषा पहाड़, तो पूरब में रनिया प्रखंड का कांड्रा पहाड़ है। बीच में कलकल-छलछल बहती कोयल नदी मनमोहक झरनों और झील के आकार के जलाशयों को जन्म देती है।

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