बीएसएल पर जुर्माने के बाद कर्मियों का हौसला बुलंद
अब बगैर किसी ठोस कारण के ट्रांसफर हुए कर्मचारी कर सकते हैं कोर्ट का रुख
बोकारो /झारखंड
बोकारो के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी दिव्या मिश्रा के कोर्ट ने 15 दिसंबर को पूर्व कर्मचारी राम किशोर प्रसाद 15 वर्ष बाद आखिरकार न्याय मिल ही गया। कोर्ट ने बीएसएल के 4 बड़े ex अधिकारी को 10 -10 जुर्माना सुनाया है। वही बीएसएल प्रबंधन को 1 लाखों रुपए जुर्माना देने का निर्देश दिया है।
कोर्ट के इस फैसले के बाद एक और जहां प्लांट में कार्यरत मजदूरों का हौसला बढ़ा है वही अधिकारियों को भी अब कर्मचारी को बगैर किसी कारण के सजा देने का भय भी सताने लगा है। पिछले 1 वर्ष पूर्व बगैर किसी कारण के बोकारो स्टील प्लांट प्रबंधन में अपने कर्मचारी रणधीर सोनू का स्थानांतरण भद्रावती स्टील प्लांट में कर दिया था। इस मामले को लेकर रणधीर सोनू स्वयं इस्पात मंत्रालय से लेकर डीआई बोकारो तक आवेदन कर चुके हैं बावजूद इसके अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है जिस कारण अब यह भी कोर्ट की ओर रुख कर सकते हैं। इसके अलावा अन्य कई विगत 1 वर्ष के दौरान प्रबंधन के रवैया से संतुष्ट नहीं है।इसके अलावा कई अन्य कर्मचारियों का भी तबादला अन्य यूनिट में किया गया है
यूनियन में सक्रिय रहने के कारण कटा था इंक्रीमेंट
श्री प्रसाद के अनुसार बीएसएल के अधिकारियों ने उनका इसलिए इंक्रीमेंट रोक दिया था।क्योंकि वे एक मजदूर यूनियन के सक्रिय सदस्य थे। इस दौरान उन्होंने मजदूरों की मांगों को लेकर कई बार अपनी आवाज बुलंद की थी। उन्होंने बताया कि 24 जनवरी 1976 को बीएसएल में योगदान दिया था। लेकिन, 1983 में उनकी यूनियन एक्टिविटी को आधार बनाकर प्रबंधन ने उनका दो इंक्रीमेंट रोक दिया था।
बीएसएल के ईडी शीतांशु प्रसाद सहित अन्य थे आरोपी
इस पूरे मामले में बीएसएल के पूर्व अधिकारी ईडी सितांशु प्रसाद, पर्सनल इंचार्ज एसडी झा, जीएम बीके ठाकुर और सुरेंद्र सिंह को कोर्ट ने दोषी माना हैं। श्री प्रसाद ने बताया प्रबंधन के इस फैसले के खिलाफ पहले लेबर कोर्ट गया फिर मामला हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2013 में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी बोकारो के अदालत को मामले में संज्ञान लेते हुए कार्रवाई का निर्देश दिया। जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है।