Headlines

बेहतर अर्थव्यवस्था के लिए ग्रामीण ढांचे, भंडारण-आपूर्ति को मजबूत करना होगा : राज्यपाल

[ad_1]

रांची, वरीय संवाददाता। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (डीएसपीणयू) में मंगलवार को इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन और डीएसपीएमयू के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत हुई। राज्यपाल रमेश बैस, पद्मश्री अशोक भगत, इंडियन इकोनामी एसोसिएशन के अध्यक्ष सह सांसद डॉ अच्युत सामंत, अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी, रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत सिन्हा और डीएसपीएमयू के कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने संगोष्ठी का उद्घाटन किया।

राज्यपाल ने देशभर से आए प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय अथर्व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए ग्रामीण बुनयादी ढांचे, भंडारण और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना होगा। ग्रामीण स्तर पर खाद्य प्रंसस्करण उद्योग को भी बढ़ावा देने के आवश्यकता है। कहा कि आज हमारे देश की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हमने अपनी अर्थव्यवस्था को 2025 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है।

छूट और सब्सिडी अर्थव्यवस्था में बाधक

राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि छूट और सब्सिडी भारत की अर्थव्यवस्था को विकास देने में बाधक हो सकते हैं। इस तरह की योजनाएं विकास में कभी लाभकारी साबित नहीं हो सकती। Øउन्होंने कहा कि स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रम विकास को गति प्रदान करेंगे। राज्यपाल ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक आधारभूत स्तंभ रहा है। कभी खाद्यान्न की कमी से जूझने वाला भारत अब ‘आत्मनिर्भर भारत बन खाद्यान्न का निर्यात कर रहा है। हालांकि कृषि क्षेत्र में सुविधाओं को बढ़ाने, बाजार उपलब्ध कराने, प्रौद्योगिकी व तकनीक का उपयोग और बढ़ाने की आवश्यकता है। इस अवसर पर राज्यपाल ने अधिवेशन की स्मारिका का लोकार्पण किया और उसकी प्रति रजिस्ट्रार डॉ नमिता सिंह को भेंट की।

किसानों के चेहर पर खुशी लाने लानी होगी : अशोक भगत

पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि कृषि हमारी संस्कृति है। इसी को आधार बनाकर अर्थव्यवस्था बनाई जानी चाहिए। बिना किसानों के चेहरे पर खुशी लाए अर्थव्यवस्था में बदलाव और विकास मुश्किल है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व मे मंदी का दौर होने के बाद भी हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर इसका कोई असर नहीं पड़ा, क्योंकि कृषि व ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर किसी चीज का असर नहीं होता है।

झारखंड के 7000 विद्यार्थी किट्स और किस्स में

ओडिशा में किट्स और किस्स संस्थान के संस्थापक डॉ अच्युत सामंता ने कहा कि झारखंड के लगभग 7000 विद्यार्थी अध्यनरत हैं और अपने राज्य व देश की इकोनॉमी में योगदान निभा रहे हैं। सामंता ने कहा कि यह आयोजन झारखंड के लिए गौरव की बात है। यहां के छात्र बड़ी संख्या में हमारी यूनिवर्सिटी पढ़ाई के लिए जाते हैं। इसलिए हम यहां से सीधे तौर पर जुड़े हैं। मौके पर डॉ अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी, रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने भी अपने विचार रखें। उद्घाटन भाषण डीएसपीएमयू के कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने दियाा। धन्यवाद ज्ञापन प्रो बीपी चंद्रमोहन ने किया।

यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।

[ad_2]