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ब्रिटिश शासनकाल में जिला था संताल परगना, 1983 में 4 भागों में बंटा; दिलचस्प है कहानी

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वीर शहीद सिदो-कान्हू और हूल की धरती संताल परगना बंगाल और अंग क्षेत्र का हिस्सा है। दामिन ई कोह का यह क्षेत्र संताल हूल के बाद ब्रिटिश हुकूमत की ओर से विद्रोह को समाप्त करने तथा शांति प्रक्रिया बहाल करने के लिए समझौते के तौर पर अलग जिला बनाया गया। इस संबंध में ब्रिटिश सरकार ने भागलपुर के तत्कालीन कमिश्नर मिड्ट बिडवेल की रिपोर्ट पर बंगाल के वीरभूम और भागलपुर के उस हिस्से को, जिसमें मुख्य तौर पर संताल एवं अन्य काश्तकार कृषि का काम करते थे, उस हिस्से को 1855 के एक्ट 37 के द्वारा अलग जिला के रूप में गठन कर दिया गया।

संविधान की 5वीं अनुसूची में दर्ज है संताल परगना
संताल परगना जिला गठन के समय से ही शिड्यूल्ड एक्ट के अंतर्गत रखा गया है। संताल परगना के क्षेत्र को 1855 के एक्ट में शिड्यूल यानी अनुसूची में दर्ज किया गया था। आज भी यह क्षेत्र भारत के संविधान की पांचवीं अनुसूची में दर्ज है।

1983 में 4 जिलों में बांट दिया गया संताल परगना
संताल परगना जिला करीब 128 वर्षों के बाद 1983 में चार जिलों में बांट दिया गया। इसी साल अलग-अलग तारीख को दुमका, देवघर, साहिबगंज और गोड्डा अनुमंडलों को प्रशासनिक दृष्टि कोण से अलग-अलग जिलों में बांट दिया गया।

आदिवासियों की परंपरागत व्यवस्था रही कायम
संताल परगना पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में होने के कारण यहां 1855 से ही सामान्य कानून और नियमों से अलग आदिवासियों की सामुदायिक परंपरागत व्यवस्था को वैधानिक मान्यता दी गयी है।
 

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