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रांची, वरीय संवाददाता। पुनदाग टीओपी ओपी के पास आयोजित पांच दिवसीय हरि कथा में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। कथा के तीसरे दिन बुधवार को दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की साध्वी शीतली भारती ने कहा कि भक्त-भगवान का नाता बहुत ही गहरा होता है। जैसे जल के संग मीन का जिस प्रकार से में जल के बगैर नहीं रह सकती, ठीक उसी प्रकार से भगवान भी भक्तों के बगैर नहीं रह सकते।
उन्होंने कहा कि भक्तों के लिए भगवान हर नियम को तोड़ देते हैं। क्योंकि वह हमेशा प्रेम और भाव के भूखे होते हैं। श्री हरि ने इसी क्रम में कई अवतार लिए। उनका जन्म बंगाल के नवधी ग्राम में चैतन्य महाप्रभु के रूप में हुआ। वह बंगाल के बहुत बड़े संत कहलाए। उन्होंने यही संदेश दिया कि जिस ईश्वर को आप बाहर मान रहे हैं। वह ईश्वर तो हमारे घट के भीतर है। उन्हें जानने के लिए एक संत सतगुरु की आवश्यकता है। यही बात सभी शास्त्र ग्रंथों में निहित है। परमात्मा मानने का नहीं जानने का विषय है। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया। समापन आरती के बाद प्रसाद वितरण से हुआ। इस अवसर पर मुख्य रूप से जयंत झा, कुंवारा यश सिंह परमार, दिलीप सिंह, डॉ दीपक दुबे, डा रुचिका सिंह, कंचन देवी, मनोज सिंह, सत्य नारायण पोद्दार, श्याम किशोर सिंह, पुरुषोत्तम राठोड़, प्रवीण कुमारी उपस्थित हुए।
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