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संसद में गुंजने लगा सेल में मॉडनाईजेशन के साथ कर्मचारियों व अधिकारियों का मामला

संसद में गुंजने लगा सेल में मॉडनाईजेशन के साथ कर्मचारियों व अधिकारियों का मामला
लगातार सवाल के घेरे में केंद्रीय इस्पात मंत्रालय की अब होने लगी किरकिरी
लगातार जवाब से खुल रहे हैं परत दर परत कई मामले
कभी सांसद संजय राउत तो कभी डोला सेन तो कभी धीरज साहू पूछ रहे हैं सवाल

बोकारो/झारखंड
स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड सेल के कर्मचारी और अधिकारियों का मामला लगातार संसद में विगत कई दिनों से गूंज रहा है। कभी तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद डोला सेन के सवालों का जवाब केंद्रीय मंत्री दे रहे हैं तो कभी कांग्रेस सांसद धीरज साहू के सवालों के जवाब में मंत्री खड़े हो रहे हैं। यही नहीं इससे पूर्व कई बार आप पार्टी के सांसद संजय सिंह तो कभी सांसद संजय राउत सेल कर्मचारियों और अधिकारियों के अलावा सेल की कार्यप्रणाली पर सवाल कर जवाब मांगा है। अब सवाल उठता है कि आखिरकार सेल प्रबंधन की व्यवस्था पर इतने सवाल क्यों किए जा रहे हैं। क्या प्रबंधन अपनी कमी को दूर करने का कोई ठोस इंतजाम नहीं कर पा रही है। आखिर अधिकारी और कर्मचारियों में असमानता की स्थिति क्यों उत्पन्न हुई है इस पर अब सभी की निगाहें टिक गई है।

Dola sen,MP
सांसद डोला सेन

सांसद डोला सेन के सवाल से कई पर्दे भी उठे
संसद के शीतकालीन सत्र में तृणमूल कांग्रेस की राज्य सभा सांसद डोला सेन ने जब केंद्रीय इस्पात मंत्री से अधिकारियों और कर्मचारियों के वेज रिवीजन का ब्यौरा मांगा तो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा सेल में 11अधिकारियों के लिए नए वेतन समझौते के तहत 667 करोड़ आवंटित किया गया है। जबकि 56 हजार कामगारों के लिए एक हजार आवंटित है। इसके पीछे अब वेतन समझौते में बैठे नेशनल ज्वाइट कमिटी फॉर स्टील के नेताओं पर अब उंगली उठने लगी है। जिस पर बीएमएस सहित नन एनजेसीएस संगठन अब कई प्रकार के सवाल करने लगे हैं। जिसके तहत अधिकारी और कर्मचारियों के बीच इतनी असमानता की स्थिति क्यों उत्पन्न हुई है इस पर अब चर्चा जोर पकड़ने लगी है।

सांसद धीरज साहू के पूछे सवाल पर मिला कई जवाब

सांसद धीरज साहू
सांसद धीरज साहू

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू ने भी संसद में स्टील अथॉरिटी ऑफ इडिया लिमिटेड के यूनियन चुनाव को लेकर सवाल किया। उन्होंने अपने सवाल में कहा था कि जिनका सेल प्रबंधन से कोई वास्ता नहीं है वही नेता एनजेसीएस की मीटिंग में बैठ रहे हैं।

संसद में सांसद धीरज साहू के सवाल और केंद्रीय मंत्री का जवाब
सवाल नंबर 1
भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड, सेल के स्तर पर, बोकारो स्टील, बर्नपुर एलॉय, दुर्गापुर तथा चंद्रपुर से समिति के सदस्यों का चयन सेल कर्मचारियों के बीच से नहीं करने की वजह क्या है?

जवाब -केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया
स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड में हमारे 8 संयंत्र हैं। इन 8 संयंत्रों में से कई संयंत्रों में हमारे यूनियंस और मजदूर संघ रजिस्टर्ड और एफिलिएटेड हैं, कई में नहीं हैं। इसका कारण मैं हमारे सांसद महोदय के समक्ष भी रखना चाहता हूँ। मिलाई स्टील प्लांट में मिलाई इस्पात मजदूर संघ एक रिकोग्नाइज्ड यूनियन है। राउरकेला स्टील प्लांट में राउरकेला श्रमिक संघ, जो इंटक के साथ एफिलिएशन रखता है, उसे मान्यता मिली हुई है। सेलम स्टील प्लांट में सेलम उरुकाल थोजीललार मुनेत्र संगम, एलपीएफ को मान्यता मिली है और विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील लिमिटेड में वीआईएसएल वर्कर्स एसोसिएशन को मान्यता मिली है।

केंद्रीय मंत्री का जवाब जारी है—
इसके अतिरिक्त हमारे 4 ऐसे संयंत्र हैं, जहां मान्यता नहीं मिली है। दुर्गापुर स्टील प्लांट में चुनाव आयोजित नहीं किये गये, क्योंकि वहाँ एक विषय पर आदान- प्रदान भी है और एक सबज्युडिस मैटर भी है। यही स्थिति बोकारो स्टील प्लांट की है।जहाँ बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन को मान्यता दी गयी थी, परन्तु अब एक मैटर सबज्युडिस है, लीगल मैटर हो गया है, इसलिए वहां चुनाव नहीं हो पाए। यही स्थिति इसको में है और एलॉय स्टील प्लांट में भी है।

सांसद धीरज प्रसाद साहू का सवाल -नंबर दो
, बोकारो इस्पात संयंत्र, बर्नपुर एलॉय, दुर्गापुर तथा चंद्रपुर फेरो एलॉय प्लांट में औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 और 1957 के प्रावधानों के तहत सीक्रेट बैलेट इलेक्शन के आधार पर समिति के सदस्यों का चुनाव क्यों नहीं किया जा रहा है?

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का जवाब -नंबर दो
जैसा मैंने आपसे निवेदन किया था और आपके द्वारा माननीय सांसद जी को भी निवेदन किया था कि यह मैटर सबज्युडिस है।क्योंकि वहाँ लीगल केसेज चल रहे हैं, तो इस पर हम लोग हस्तक्षेप नहीं कर सकते।
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राज्यसभा सांसद संजय राउत का सवाल–

sanjay rawat

क्या इस्पात मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि

(1) देश में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की चालू परियोजनाओं का ब्यौरा क्या है,

(2) क्या यह सच है कि इनमें से कुछ परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं हो सकी है. यदि हाँ, तो इसके क्या कारण है

(3)सरकार द्वारा इस्पात परियोजनाओं के आधुनिकीकरण और विस्तार को शीघ्र पूरा करने के लिए क्या कदम उठाए जायेंगे?

केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते का जवाब

सेल संयंत्रों में निम्नलिखित प्रमुख परिवर्धन, आशोधन, प्रतिस्थापन योजनाएं (एएमआर) (जिनकी लागत 150 करोड़ रुपये व अधिक है) कार्यान्वयनाधीन है:-

बोकारो इस्पात संयंत्र में 1111 करोड़ रुपए के निवेश के साथ नए सिंटर संयंत्र की स्थापना

राउरकेला इस्पात संयंत्र में लगभग 1105 करोड़ रुपए के निवेश के साथ एसएमएस में लैडल के साथ चौथे कास्टर की स्थापना

मिलाई इस्पात संयंत्र में 625 करोड़ रुपए में सीओबी 7 और 8 का पुनर्निर्माण

राउरकेला इस्पात संयंत्र में लगभग 434 करोड़ रुपए के निवेश के साथ सौओबी-2 का पुनर्निर्माण व कोक हैंडलिंग और गैस हैंडलिंग सुविधा का संवर्धन 285 करोड़ रुपए के निवेश के साथ बोकारो इस्पात संयंत्र में कोक ओवन बैटरी-8 का पुनर्निर्माण होना है

बोकारो इस्पात संयंत्र में 240 करोड़ रुपए के निवेश के साथ हॉट स्ट्रिप मिल की स्वचालन प्रणाली का उन्नीकरण

तीन परियोजनाओं यानि बोकारो में नए सिंटर संयंत्र की स्थापना, बोकारो इस्पात संयंत्र में सीओबीस 8 का पुनर्निर्माण और खदानों में सीएसडब्ल्यू संयंत्र के वाशिंग सर्किट में आशोधन में देरी मुख्यतः ठेकेदार द्वारा कार्य में धीमी प्रगति कोविड के प्रभाव, आवश्यक मंजूरी पाने में देरी आदि के कारण हुई है।