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समय रहते इलाज से बचाई जा सकती है आंखों की रोशनी: डॉ भारती

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रांची, संवाददाता। रांची ओफ्थल्मिक फोरम एवं रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओफ्थल्मोलॉजी, रिम्स के संयुक्त तत्वाधान में शनिवार को आंखों की बीमारी पर साइंटिफिक सेमिनार सह क्रिसमस मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इसमें राज्य के 100 से ज्यादा नेत्र चिकित्सकों ने भाग लिया। समारोह में फोरम की सेक्रेटरी डॉ भारती कश्यप ने कहा इस तरह के आयोजन से चिकित्सकों में आपसी भाईचारा बढ़ता है। कहा कि समय से इलाज कराकर डायबिटिक रेटिनोपैथी से ग्रसित मरीज अपनी आंखों की रोशनी बचा सकते हैं। वहीं, डॉ राजीव गुप्ता ने कहा कि आंखों की समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक सर्वे के अनुसार देशभर के करीब 30 फीसदी लोग आंखों में समस्या होने के काफी समय बाद इलाज कराने पहुंचते हैं।

सेमिनार में एम्स, नई दिल्ली के प्रो राजेश सिन्हा ने कॉर्निया की बीमारी में मोतियाबिंद एवं रिफ्रैक्टिव सर्जरी के पहले की जाने वाली जांच की जानकारी दी। वहीं, नागपुर के रेटीना सर्जन डॉ प्रशांत बावनकुले ने आंखों के पर्दे की बीमारी की पहचान में ओसीटी जांच की जानकारी दी। नई दिल्ली के श्रॉफ आई हॉस्पिटल की ग्लूकोमा विशेष डॉ सुनीता दुबे ने ग्लूकोमा सर्जरी की नई तकनीक ट्यूब इम्प्लांट सर्जरी और एमआईजीएस सर्जरी के बारे में जानकारी दी। रिम्स के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ राजीव गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

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