Headlines

हाईकोर्ट ने माना, बड़हरवा टोल टेंडर केस की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की जरूरत

[ad_1]

झारखंड हाईकोर्ट ने माना है कि बड़हरवा टोल के टेंडर मैनेज करने के मामले में पुलिस की जांच सही तरीके से नहीं हुई है। ईडी के शपथपत्र से पता चलता है कि मामले के प्रार्थी ने जो आरोप लगाए हैं, वे सही हैं। ऐसे में यह मामला किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने लायक है।

सरकार ने हाईकोर्ट से मांगा जवाब देने का वक्त
इस मामले में सरकार और अन्य प्रतिवादियों ने ईडी के शपथपत्र पर जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की। अदालत इसे स्वीकार करते हुए सभी पक्षों को 16 जनवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। गुरुवार को जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने शंभु नंदन कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।

प्रार्थी शंभु नंदन कुमार ने दायर की है याचिका
इस संबंध में प्रार्थी शंभु नंदन कुमार ने याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि बड़हरवा टोल प्लाजा में उन्हें टेंडर भरने से मंत्री आलमगीर आलम और सीएम के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा ने धमकी भी दी थी। इतना ही नहीं पुलिस ने इस मामले में आधे घंटे में 14 लोगों का बयान दर्ज कर दोनों को क्लीनचिट दे दी थी। इसके बाद शंभुनंदन ने याचिका दायर कर पूरे मामले की सीबीआई जांच का आदेश देने का आग्रह किया है। अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान ईडी को प्रतिवादी बनाया था और मामले में साक्ष्य पेश करने का निर्देश दिया था। गुरुवार को ईडी का शपथपत्र देखने के बाद अदालत ने कहा कि इससे प्रार्थी के आरोपों की पुष्टि हो रही है। पंकज और आलम के खिलाफ किसी प्रकार की जांच नहीं हुई है।

जेल अधीक्षक को सीसीटीवी फुटेज देने की अपील
अदालत ने ईडी को जेल का सीसीटीवी फुटेज अविलंब उपलब्ध कराने निर्देश बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के अधीक्षक को दिया है। बुधवार को ईडी के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने ईडी को जेल का सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं कराने से जुड़े मामले में बहस पूरी होने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को कोर्ट ने आदेश पारित किया।

[ad_2]