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हेमंत सोरेन के प्रेस सलाहकार जोनल कार्यालय की जासूसी में थे शामिल, ED ने झारखंड हाईकोर्ट को बताया

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प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार को एक हलफनामे देकर झारखंड हाईकोर्ट को बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रेस सलाहकार और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन एजेंसी के जोनल कार्यालय की जासूसी करने में शामिल थे।

ईडी ने बताया कि सीएम के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ ​​पिंटू और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन एक अवैध खनन मामले में झामुमो नेता पंकज मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद ईडी के जोनल कार्यालय में जासूसी करने में शामिल थे। ईडी ने 19 जुलाई को पंकज मिश्रा को लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था।

पंकज मिश्रा को 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के कथित अवैध खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने कोर्ट को बताया कि अभिषेक प्रसाद की कॉल को ‘कानूनी तौर पर इंटरसेप्शन’ के तहत रखा गया था। एजेंसी ने हाईकोर्ट के साथ इंटरसेप्टेड कॉल्स के ट्रांसक्रिप्ट भी साझा किए।

हलफनामे में कहा गया है कि “उनकी कॉल को इंटरसेप्ट किया गया था जो उनके नंबर 94***41 के माध्यम से दूसरे नंबर 94***32 (राजीव रंजन, एडवोकेट जनरल) पर की गई थी, जो 22 जुलाई, 2022 को झारखंड राज्य के सबसे वरिष्ठ कानून अधिकारी थे। उक्त कॉल में अभिषेक प्रसाद उक्त आरोपी पंकज मिश्रा के लिए एक सरकारी वकील की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे थे। इसके अलावा, अभिषेक प्रसाद ने यह भी सुझाव दिया कि एडवोकेट जनरल, पंकज मिश्रा से मिलने के लिए प्रवर्तन निदेशालय रांची के कार्यालय में गुप्त रूप से एक वकील भेजें ताकि यह पता चल सके कि उनसे किस बारे में पूछताछ की जा रही थी और उनके जवाब प्रवर्तन निदेशालय को दिए गए हैं।”

ईडी ने आगे उल्लेख किया कि पहले वकील में से एक प्रदीप चंद्रा ने 23 जुलाई को और 28 जुलाई को ईडी ऑफिस का दौरा किया। पंकज मिश्रा को 28 जुलाई को अभिषेक प्रसाद की सलाह पर स्वास्थ्य आधार पर न्यायिक हिरासत में रिम्स, रांची में भर्ती कराया गया था।

ईडी ने अपने हलफनामे में आगे उल्लेख किया है कि पंकज मिश्रा लगातार सबूतों को प्रभावित कर रहे थे और मामले में गवाहों को प्रभावित कर रहे थे। एजेंसी ने आगे बताया कि न्यायिक हिरासत में होने के बावजूद मिश्रा मोबाइल फोन का भी इस्तेमाल कर रहे थे।

सहयोगियों और रिश्तेदारों को 300 फोन कॉल किए

हलफनामे में कहा गया है कि मोबाइल फोन की जांच से पता चला है कि पंकज मिश्रा ने न्यायिक हिरासत में रहने के दौरान अपने सहयोगियों और रिश्तेदारों को लगभग 300 फोन कॉल किए थे। ऐसे व्यक्तियों में पुलिस विभाग, झारखंड के अधिकारियों सहित कई सरकारी अधिकारी शामिल हैं।

ईडी के मुताबिक, मिश्रा स्टोन चिप्स के अवैध परिवहन के लिए उक्त टोल प्लाजा को अपने नियंत्रण में लेना चाहते थे। समन और गिरफ्तारी से पहले मिश्रा ने उनके अलावा अपने एक साथी को भी तलब किया था। 

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