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10 साल से ज्यादा सेवा दे चुके कर्मचारियों को नियमित करें, हाईकोर्ट का हेमंत सरकार को निर्देश

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झारखंड हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए 10 साल से अधिक समय से काम करने वाले अनुबंधकर्मियों की सेवा नियमित करने का आदेश सरकार को दिया है। जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए सरकार को आदेश की कॉपी मिलने के 12 हफ्ते में सेवा नियमित करने का निर्देश दिया। इस संबंध में नरेंद्र कुमार तिवारी और 30 अन्य ने याचिका दायर की थी। पूर्व में सुनवाई करते हुए अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अब नहीं होगी संविदा पर नियुक्ति
गुरुवार को फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि राज्य सरकार सिर्फ संविदा पर ही लोगों की नियुक्ति कर रही है। उमा देवी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार दस साल से अधिक समय से काम करने वाले सभी संविदाकर्मियों को नियमित करना होगा। अदालत ने कहा कि अब बहुत हो गयी संविदा पर नियुक्ति। सरकार को अब नियमित नियुक्ति ही करनी होगी और जो लोग पहले से संविदा पर कार्यरत हैं, उन्हें सरकार तत्काल नियमित करे।

प्रार्थियों ने क्या कहा था याचिका में 
इस मामले में दायर याचिका में कहा गया था कि वे सभी कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर परिवहन विभाग में 10 साल से अधिक समय से अनुबंध पर कार्यरत हैं। पूर्व में सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा था कि वैसे कर्मचारी, जिनकी 2006 में 10 साल तक सेवा पूरी होगी, उन्हें नियमित करने पर विचार होगा।

कट ऑफ डेट को गलत बताया था
इसके बाद नरेंद्र तिवारी और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और सरकार के कट ऑफ डेट को गलत बताया था। याचिका में कहा गया था कि झारखंड का गठन ही 2000 में हुआ है। ऐसे में 10 साल तक की सेवा 2006 में किसी की भी पूरी नहीं हो रही है। प्रार्थियों ने अदालत को बताया था कि सरकार ने ऐसे कई कर्मियों को नियमित की है, जिनकी सेवा 10 साल पूरी नहीं हुई है। जबकि प्रार्थी 10 साल से अधिक समय से काम कर रहे हैं। उनकी सेवा नियमित की जाए। 2017 में हाईकोर्ट ने इनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद सभी सुप्रीम कोर्ट चले गए।

सेवा समाप्त करने पर डाली थी याचिका
झारखंड सरकार द्वारा कई अनुबंध कर्मियों की सेवा समाप्त किए जाने के बाद प्रार्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील देते हुए अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने अदालत को बताया कि सरकार का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है। सभी प्रार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा था कि राज्य सरकार 10 साल तक सेवा पूरी करने वालों को नियमित करे। उसका कहना था कि प्रार्थियों ने 10 साल से अधिक की सेवा पूरी की है, इस कारण इनकी सेवा नियमित की जानी चाहिए। अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद तीन नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में दिया था निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने के बाद झारखंड सरकार के कट ऑफ डेट निर्धारण को सही नहीं माना और सरकार को एक रूल फ्रेम करने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि यदि प्रार्थी 10 साल तक अनुबंध पर सेवा पूरी कर चुके हैं, तो उनकी सेवा नियमित की जाए। अदालत को बताया गया कि वर्ष 2018 में सभी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार के पास सेवा नियमित करने का आवेदन दिया, लेकिन सरकार ने कहा कि उनकी नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया गया है। इस कारण सेवा नियमित नहीं की जा सकती। सरकार ने सभी की सेवा ही समाप्त कर दी।

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