[ad_1]
राज्य के विश्वविद्यालयों में कार्यरत गैर शैक्षणिक कर्मियों को भी 7वें वेतनमान का लाभ दिया जाएगा। सरकार ने इस संबंध में निर्णय ले लिया है। शुक्रवार को सरकार की ओर से हाईकोर्ट में इसकी जानकारी दी गई। इसके बाद जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने अवमानना की दायर याचिका निष्पादित कर दी। साथ ही प्रार्थियों को लाभ देने तक उच्च शिक्षा निदेशक के तबादले पर लगायी गयी रोक का आदेश भी वापस ले लिया।
अदालत ने कहा कि जब शैक्षणिक कर्मियों को 7वें वेतनमान का लाभ वर्ष 2017 से दिया जा रहा है तो इन्हें भी इसका लाभ मिलना चाहिए। शैक्षणिक कर्मियों को प्रार्थियों से ज्यादा वेतनमान मिलता है। सरकार को पहले इनको इसका लाभ देना चाहिए था।
कैबिनेट में अनुमति प्राप्त कर ली गई
इस संबंध में शकुंतला दास ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक कर्मियों को वर्ष 2017 से 7वें वेतनमान और एरियर का भुगतान कर दिया गया है, जबकि उन लोगों को एक जनवरी 2016 से 7वें वेतनमान का भुगतान नहीं किया जा रहा है। इस दौरान रांची विश्वविद्यालय के अधिवक्ता अमित कुमार सिन्हा ने अदालत को बताया कि पूर्व में सरकार ने इसके लिए देय राशि का ब्योरा मांगा था। जिसे वर्ष 2017 में उपलब्ध करा दिया गया था। इसपर सरकार की ओर से बताया गया कि 12 दिसंबर 2022 को कैबिनेट में इस संबंध में अनुमति प्राप्त कर ली गई है। अब जल्द ही सभी गैर शैक्षणिक कर्मियों को इसका भुगतान कर दिया जाएगा। राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के करीब पांच हजार कर्मियों को इसका लाभ मिलेगा।
[ad_2]