SAIL-STEEL/INS-VIKRANT-बीएसएल स्टील से निर्मित आईएनएस विक्रांत में पहली बार फायटर प्लेन ने भरी उड़ान
समुद्र में भारत की सुरक्षा में निभा रहा महत्वपूर्ण भुमिका,अत्याधुनिक युद्धपोत है विक्रांत
आईएनएस विक्रांत में लगा है 7 हजार टन स्टील
रक्षा मामले में विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हुआ भारत
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बोकारो स्टील प्लांट के स्टील से निर्मित आईएनएस विक्रांत में पहली बार 6 फरवरी 2023 को हल्के फाईटर एयरक्राफ्ट ने उड़ान भरकर देश को गौरवान्वित किया है। स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत को सितंबर 2022 में इंडियन नेवी में शामिल किया गया था। नौसेना के पायलटों ने पहली बार मेड इन इंडिया INS विक्रांत पर दो लड़ाकू विमानों की सफल लैंडिंग की। इस दौरान कॉम्बैट एयरक्राफ्ट और मिग-29K से सफल टेक ऑफ और लैंडिंग की है। यह स्वदेशी लड़ाकू विमान के साथ एयरक्राफ्ट कैरियर के डिजाइन, डेवलपमेंट, प्रोडक्शन और ऑपरेशन करने में भारत की ताकत को दर्शाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 सितंबर 2022 को कोच्चि शिपयार्ड में भारत के पहले मेड इन इंडिया एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल किया था।
आईएनएस विक्रांत में लगा है 7 हजार टन स्टील
भारतीय नौसेना में पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत में बोकारो स्टील प्लांट ने 7000 टन डीएमआर ग्रेड विशेष स्टील से तैयार हुआ है। इसके साथ ही बीएसएल स्टील की डिमांड सैन्य शक्तियों के लिए उपकरण बनाने के लिए होने लगा है। 45 हजार टन वजनी INS विक्रांत भारत में बना सबसे बड़ा वॉरशिप है। ये INS विक्रमादित्य के बाद देश का दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर है। INS विक्रांत के साथ भारत दुनिया के उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जो एयरक्राफ्ट कैरियर को डिजाइन करने और उसे बनाने में सक्षम हैं। इसमें फ्यूल के 250 टैंकर और 2400 कंपार्टमेंट्स हैं। इस पर एक बार में 1600 क्रू मेंबर्स और 30 विमान तैनात हो सकते है
इसी वर्ष ऑपरेशनल मोड में होगा संचालित
वर्ष 2023 में आईएनएस विक्रांत पूरी तरह से युद्धक जहाज के रूप में परिणत हो जाएगा। एलसीए (नौसेना) केवल एक टेक्नोलॉजी डिमांस्ट्रेटर है। यह डबल इंजन इंजन डेक-आधारित फाइटर प्लेन्स को डेवलप करने का रास्ता तैयार करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 सितंबर 2022 को कोच्चि शिपयार्ड में आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल किया था।
रक्षा मामले में विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हुआ भारत
स्वदेशी आईएनएस विक्रांत के नवसेना में शामिल होने के बाद अब भारत अब अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है। जिनके पास स्वदेशी विमान वाहक पोत बनाने की क्षमता है। इस पोत का नाम ‘आईएनएस विक्रांत’ भारतीय नौसेना के पूर्ववर्ती पोत विक्रांत के नाम पर रखा गया है। जिसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। इस पोत का डिजाइन नौसेना के वारशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है। वहीं निर्माण सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है।
30 लड़ाकू विमानों का हो सकता है संचालन
आईएनएल विक्रांत से 30 विमानों का संचालन किया जा सकता है। गत वर्ष इसे नेवी में शामिल किए जाने के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि विक्रांत बड़ा और भव्य है, विक्रांत अलग है, विक्रांत विशेष है। विक्रांत सिर्फ एक युद्धपोत नहीं है, यह 21वीं सदी के भारत की कड़ी मेहनत, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
20मिग-29 लड़ाकू विमान और 10 हैलीकॉप्टर ले जाने को सक्षम है विक्रांत
विक्रांत 20 मिग-29 लड़ाकू विमान और दस हेलीकॉप्टरों को ले जाने में सक्षम है। 2017 में आईएनएस विराट के रिटायर होने के बाद भारत के पास केवल एक विमान वाहक जहाज आईएनएस विक्रमादित्य है। INS विक्रांत पर 30 एयरक्राफ्ट तैनात होंगे। जिनमें 20 लड़ाकू विमान होंगे और 10 हेलीकॉप्टर होंगे। इस साल नवंबर के महीने से मिग-29के फाइटर जेट विक्रांत पर तैनात होने शुरु हो जाएंगे।