झारखंड सहित देश के तमाम राज्यों में हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं युवा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आसीएमआर को मामले पर अध्ययन करने को कहा
कोविड वैक्सिन देने के बाद बढ़ी हार्ट के मरीजों की संख्या
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झारखंड सहित पूरे देश के युवाओं की अचानक हार्ट अटैक से मौत के मामले बढ़ने लगे है। झारखंड,बिहार,पश्चिम बंगाल,आसाम सहित अन्य राज्यों में तेजी से बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामले ने केंद्र सरकार को चिंता में डाल दिया है। कोरोना के बाद हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों से शक की सुई कोविड या उससे बचने के लिए ली गई दवाओं और वैक्सीन पर भी जा रही है। लॉकडाउन से खानपान, रहन- सहन में आए बदलावों के कारण सेहत पर प्रतिकूल प्रभावों की आशंका भी है। हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों के कारणों का पहली बार व्यापक अध्ययन को लेकर केंद्र सरकार का स्वास्थ्य विभाग गंभीर हुआ है।
केंद्रीय मंत्री ने स्टडी करने को कहा
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) से मेयोकार्डियल इंफ्रक्शन यानी हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों के अध्ययन को कहा है। सूत्रों के अनुसार अध्ययन में आईसीएमआर ने नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की मदद से दो तरीकों से आकस्मिक मौत (सडन डेथ) की बारीकियां को समझने का मॉडल अपनाया है। दोनों तरीकों के अध्ययन के लिए विशेषज्ञों की अलग- अलग टीमें बना ली गई हैं।
26 साल में हार्ट अटैक के मामले कुल मौतों के 28% हुए
सरकार ने हाल ही में राज्य सभा में आईसीएमआर की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि 2016 में होने वाली कुल मौतों में से 28.1% मौतें हार्ट अटैक और दिल की बीमारियों की वजह से हुईं। वहीं साल 1990 में यह आंकड़ा 15.2% था। रिपोर्ट के अनुसार हार्ट अटैक से मौतों का कारण मुख्य रूप से तंबाकू और शराब का उपयोग, बढ़ता जंक फूड और कम शारीरिक श्रम है। रेट्रोस्पेक्टिव (पूर्ववर्ती) केस कंट्रोल का होगा। इसमें अचानक मौत तक की पूरी केस हिस्ट्री को देखा जाएगा। इसमें हाल के कोविड इंफेक्शन और उसके इलाज के तौर-तरीके और उससे उबरने के बाद की मरीज की शारीरिक एवं मानसिक स्थितियों पर गौर किया जाएगा।