बीएसएल(Bokaro steel plant) कर्मचारियों के अवैध स्थानांतरण मामले पर अब ट्रिब्यूनल में होगी सुनवाई
बीएसएल प्रबंधन ने सहायक श्रमायुक्त की सलाह को नहीं माना
आईएलओ के साथ साथ अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे कर्मचारी
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धनबाद के सहायक श्रमायुक्त कार्यालय में 2 अप्रैल को बीएसएल(BSL) के मजदूर यूनियन एटक (AITUC)और सेल प्रबंधन के बीच वार्ता असफल हो गई। जिस कारण सहायक श्रमायुक्त ने मामले पर विचार करते हुए इसे ट्रीब्युनल में भेज दिया। बीएसएल के दो कर्मचारी के बगैर किसी कारण के ही भद्रावती व अन्य प्लांट में ट्रांस्फर कर दिया था। जिसके बाद से ही यूनियन नेता मामले को नेशनल ज्वाइट कमेटी फॉर स्टील(NJCS)की बैठक में उठाया था। लेकिन यूनियन नेताओं को सेल(Sail) प्रबंधन ने कोई तरजीह नहीं दी। जिस कारण एटक ने पहल करते हुए इस मामले को सहायक श्रमायुक्त के कोर्ट में ले गए। जहां बीएसएल प्रबंधन से कोर्ट ने स्थांतरण नीति की स्पष्ट करने को कहा था। जिसके बाद 21 मार्च को स्थानांतरण के शिकार 2 कर्मचारी रंधीर कुमार और एक अन्य कर्मचारी की वरीयता सूची की मांगा था । लेकिन बीएसएल प्रबंधन ने सहायक श्रमायुक्त को इस संदर्भ में कोई जवाब नहीं दिया। वहीं सहायक श्रमायुक्त ने कई बार कहा कि अगर अनफेयर लेबर प्रैक्टिस साबित हो जाता है तो उच्च प्रबंधन को सजा हो सकती है । मामले मे दोनो पक्षो के बीच सुलह की कोई संभावना नहीं देखकर सहायक श्रमायुक्त ने मामले को ट्रीब्युनल को रेफर कर दिया ।
ट्रांस्फर(transfer) का सेल प्रबंधन के पास नहीं है कोई ठोस कारण
बोकारो स्टील प्लांट के पूर्व कर्मचारी रंधीर कुमार के स्थानांतरण मामले पर जल्द ही हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी है। इसके लिए अभी तक खुलासा नहीं हुआ है। लेकिन जल्द ही हाईकोर्ट में न्याय के लिए याचिका दायर की जा सकती है। वहीं इस अवैध टांस्फर मामले को अब पीड़ित के परिजन
अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) में ले जाने की तैयारी में जुट गए है। बोकारो स्टील कामगार यूनियन(एटक)के महासचिव रामाश्रय प्रसाद सिंह ने रंधीर के बोकारो स्टील प्लांट से भद्रावती ट्रांस्फर किए जाने को नियम विरूद्ध और लेबर एक्ट का उल्लंघन बताते हुए चैयरमेन सहित सभी वरीय अधिकारियों को फैसला वापस लेने की मांग की है। 15 माह पूर्व रणधीर कुमार का स्थानांतरण बीएसएल से भद्रावती स्टील प्लांट कर दिया गया था। जिसके बाद से स्वयं रंधीर कुमार और उनके परिजन ने भी तमाम अधिकारियों को आवेदन देकर कानून सम्मत कार्रवाई की मांग की थी। सेल प्रबंधन के साथ साथ प्रधानमंत्री कार्यालय रंधीर का परिवार न्याय के लिए गुहार लगा चुका है। बावजूद अबतक मामले पर कोई सुनवाई नहीं हो पाई है। रंधीर के परिजनों ने कहा है कि उनकी नियुक्ति बोकारो इस्पात संयंत्र में हुआ था। बोकारो इस्पात संयंत्र का स्टैण्डिंग ऑर्डर का बिंदु 6(a) में कंपनी की परिभाषा बोकारो स्टील लिमिटेड दिया गया है । दुसरी तरफ बोकारो इस्पात कामगार युनियन का कार्यकारिणी सदस्य के रुप मे प्रोटेक्डेड मेंबर भी रहे थे।
अधिकार का हुआ उल्लंघन
ID act 1947 की 9 वीं अनुसूची में किसी भी पीएसयू में कार्य करने वाले कामगारों का सेवा शर्त बदलने का नियम है। ID act 1957 का 61(1) में यूनियन पदाधिकारी को प्रोटेक्टेड वर्कर के रुप में अधिकार मिला है। सेल प्रबंधन ने स्थांतरण का वजह ‘Organizational Requirment’ बताया है। जबकि पिछले कई दशक से एक भी कामगार को उस वजह से दूसरी युनिट मे स्थांतरण नही किया गया है।
अन्य मामले में अधिकारियों पर हो चुका है जुर्माना
15 दिसंबर 2022 बोकारो मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी दिव्या मिश्रा की अदालत ने बोकारो स्टील प्लांट (BSL)प्रबंधन के अलावा सेवानिवृत्त हो चुके चर्चित ईडी पीएंडए सितांशु प्रसाद, जीएम पीएंडए बसंत ठाकुर, जीएम शिवदत्त झा और सुरेंद्र सिंह पर जुर्माना लगाया था। इनपर रामकिशोर प्रसाद नाम के एक अधिकारी को बेवजह इंक्रीमेंट रोकने का आरोप लगा था। स्वयं रामकिशोर प्रसाद ने अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ करीब एक दशक तक केस लड़ा अंत में बीएसएल प्रबंधन और अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट ने सजा सुनाया। सेक्टर आठ सी स्ट्रीट 34 निवासी राम किशोर प्रसाद ने 24 जनवरी 1976 को बीएसएल ज्वाइन किया था। बोकारो इस्पात कामगार यूनियन के वह पदाधिकारी थे। ट्रेड यूनियन की विभिन्न गतिविधियों में शामिल रहने के कारण बीएसएल के अधिकारियों ने उनका इंक्रीमेंट बगैर किसी ठोस कारण के ही काट दिया था।
(BSL Limited Share Price Today, Stock Price)