Bokaro-Bsl News
मजदूरों के आंदोलन को कुचलना कुचलना चाहता है बीएसएल-केएन त्रिपाठी
गढ़वा के मजदूरों पर किसके आदेश से चलाया लाठी और वाटर कैनन
बीएसएल प्रबंधन की मनमानी से अब मजदूर भी सुरक्षित नहीं
सीआईएसएफ इंस्पेक्टर संजय मिश्र पर सिटी थाने में केस दर्ज
सीआईएसएफ ने भी केएन त्रिपाठी पर कराया केस दर्ज
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गढ़वा के खदानों में काम करनेवाले मजदूर को न्याय करने के बजाए उनपर लाठियां बरसाई गई है। सीआईएसएफ ने बिना किसी सक्षम अधिकारी के अनुमति के ही कैसे लाठीचार्ज किया है। इस बात की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों पर एक्शन लिया जाना चाहिए। यह बातें राज्य के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने 26 जून को बोकारो में कही। उन्होंने कहा भवनाथपुर खदानों के डोलोमाइट तुलसीदामर व चूना पत्थर खदान को चालू कराने की मांग विगत चार दिन से गढ़वा के मजदूर बोकारो में कर रहे हैं ताकि उनकी सुनी जा सके। लेकिन समस्त सूचना होने के बाद बात करने के बजाए मजदूरों को दौड़ा दौड़ा कर पीटा गया। इस घटना में मेरे कान में चोट लगी है। लेकिन बीएसएल प्रबंधन(BSL) की इस करनी को केंद्रीय इस्पात मंत्री के साथ साथ झारखंड के मुख्यमंत्री से अवगत कराएंगे। ताकि इस पूरे प्रकरण की जांच कराई जा सके। कहा वहां के 2000 मजदूरों का अंतिम सेटेलमेंट अबतक सेल प्रबंधन ने नहीं किया है। इसकी मांग को लेकर धरना देना कहां से गैरकानूनी है। पूरी मामले की जानकारी डीसी बोकारो सहित सभी अधिकारियों को है बावजूद इसके लाठी चार्ज करना निंदनीय है।
सिटी थाना में केस दर्ज
सीआइएसएफ(CISF) इंस्पेक्टर आलोक मिश्र व सीआइएसएफ के 50 से अधिक जवानों पर पूर्व मंत्री ने घटना के दुसरे दिन केस दर्ज कराया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि मजदूरों के शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान दौरान सीआईएसएफ के इंस्पेक्टर मिश्रा ने मारपीट की है। जबकि सीआइएसएफ इंस्पेक्टर आलोक कुमार मिश्रा ने कार्य में बाधा डालने के आरोप में सुशील कुमार चौबे व केएन त्रिपाठी को आरोपी बनाया है।
मजदूरों का हौसला नहीं हुआ कम,आंदोलन पर डटे रहे
बीएसएल प्रबंधन (Bsl)और सीआईएसएफ की ओर से वाटर कैनन और लाठीचार्ज के बीच 26 जून को राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के मजदूरों ने चौथे दिन बीएसएल प्रशासनिक भवन के समक्ष धरना जारी रखा। इस मौके पर वरीय इंटक नेता सुशील कुमार चौबे ने कहा बीएसएल प्रबंधन और सीआईएसएफ ने मानवता को तार तार किया है। घटना में 20 से अधिक मजदूर घायल है। बगैर किसी कारण के संवैधानिक तरीके से धरना प्रदर्शन करने के बाद ऐसी घटना को अंजाम दिया गया है। जिसे किसी भी कीमत में बर्दास्त नहीं किया जा सकता है।