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BSL:बोकारो में दुसरी बार टला अतिक्रमण के खिलाफ अभियान

बोकारो के सिटी सेंटर सेक्टर चार में अतिक्रमण

बोकारो (Bokaro)में दुसरी बार टला अतिक्रमण के खिलाफ अभियान
अभियान टलने के पीछे की सच्चाई जानने को उत्सुक है बोकारोवासी
दुसरी बार रहस्यमय कारणों से क्यों टाला गया अभियान
अतिक्रमण मामले में बीएसएल के अधिकारी कम नहीं है
बीएसएल(Bsl) के कुछ अधिकारी नहीं चाहते शहर से हटे अतिक्रमण

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बोकारो स्टील प्लांट (Bokaro Steel Plant)के कुछ अधिकारियों को जबतक संवेदनशील पोस्ट से हटाया नहीं जाता तबतक बोकारो में अतिक्रमण सहित कोई भी अभियान चलनेवाला नहीं है। 22 मई को बीएसएल की ओर से सेक्टर चार में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलनेवाला था लेकिन जिला प्रशासन ने इसके लिए मैजिस्ट्रेट और पुलिस बल की तैनाती नहीं की। इससे पूर्व वर्ष 2022 में भी बीएसएल (BSL)ने इसी स्थान को अतिक्रमण मुक्त करने का अभियान की तैयारी की थी। उस वक्त भी कुछ ऐसा ही हुआ। बीएसएल प्रबंधन एक माह से लगातार इसकी सूचना भी जारी कर रही थी। लेकिन जिस दिन शहर को अतिक्रमण मुक्त करना था उस दिन सारे मामले बस्ते में चले गए।
सभी अवैध दुकानदारों को चुकानी पड़ती है कीमत
बीएसएल के जमीन पर मुफ्त में किसी को अतिक्रमण की इजाजत नहीं होती है। बल्कि इसके लिए भी कई कड़ी बनी हुई है। जो बाजार में लगनेवाले दुकानों से बिजली पानी सहित अवैध दुकान स्थापित करने को लेकर जमकर उगाही करते है। दुकानदारों की माने तो अन्य सेक्टरों के मुकाबले सिटी सेंटर में अवैध दुकान स्थापित करने का रेट सबसे अधिक है। यदि पूरे शहर की बात करें तो हर माह अवैध क्वार्टर और दुकान सहित अतिक्रमित जमीन के एवज में एक करोड़ से अधिक की राशि वसूली जाती है। जिस कारण जब भी प्रबंधन के शीर्ष अधिकारी अतिक्रमण के खिलाफ अभियान की तैयारी करते हैं तो इन्ही के कुछ अधिकारी सत्ता व विपक्ष के नेताओं से मिलकर पूरी प्रक्रिया को प्रभावित कर देते है।
संवेदनशील पोस्ट के नाम पर हो चल रहा खेल
पूरे सेल में बेहतर व्यवस्था बनाए रखने और अधिकारियों का राज समाप्त करने के लिए संवेदनशील पोस्ट बनाया गया है। जहां एक अधिकारी को तीन वर्ष से अधिक समय तक नहीं रखा जा सकता है। लेकिन फिलहाल यहां के कुछ अधिकारियों ने इतनी गहरी पैठ बना ली है कि इनकी पहुंच के बदौलत ये एक संवेदनशील पोस्ट से निकलकर दुसरे संवेदनशील पोस्ट में अपनी नियुक्त करवा ले रहे है। इसका ताजा उदाहरण नगर सेवा भवन के क्वार्टर अलॉटमेंट विभाग में पूर्व में तैनात जीएम अविनाश झा है जिन्हें निदेशक प्रभारी के गांव का सबसे करीबी बने रहने का तमगा भी लगा हुआ है। इसलिए क्वार्टर आवंटन विभाग में जब इनके काले कारनामों से पर्दा उठना शुरू हुआ तो उन्हें दुसरे संवेदनशील पोस्ट नियुक्ति विभाग में योगदान करवा दिया गया। बताया जाता है कि ये मिथिला संगठन में महासचिव के पद पर है इन्होंने स्कूल को अपने पद से लाभ पहुंचाते हुए 20 से अधिक क्वार्टर का आवंटन भी किया।

अपने चेहतो के लिए सीजीएम का नया पद सृजीत किया गया
बोकारो नगर सेवा विभाग मे सुरक्षा प्रमुख का पद पहले ई 7 ग्रेड का होता था उसको अपग्रेड कर ई 8 ग्रेड का किया गया । वहीं प्लांट से इंजीनियरिंग पृष्ठभुमि के अधिकारी को लाकर सुरक्षा विभाग का चार्ज दिया गया । इनके कार्यकाल मे बोकारो इस्पात नगर की जमीन, बिजली , पानी , आवास पर काफी तेजी से अवैध अतिक्रमण हुआ है । होमगार्ड तथा दलालों के माध्यम से करोड़ो रुपये की उगाही प्रत्येक साल हो रही है । जबकि सेल के ही भिलाई तथा राउरकेला इस्पात संयंत्र के मुकाबले मैनपावर कम रहने के बावजुद दो दो सीजीएम पर्सनल का पोस्ट क्रियेट कर अपने चेहते अधिकारी को सीजीएम पद पर बैठाया गया था जिसमें एक का ट्रांसफर कर दिया गया है।
यहां भी भ्रष्टाचार कम नहीं
यातायात विभाग का एचओडी (ई8) पद पर तब तक खाली रखा गया। जब तक वहां के प्रभारी एचओडी ए के झा को ई8 ग्रेड पर पदोन्नति नहीं मिल गई। उसमे भी आश्चर्य की बात यह है कि जूनियर मैनेजर से लेकर मुख्य महाप्रबंधक तक के पद के दौरान उस अधिकारी का आज तक विभाग भी नही बदला गया है । इसके अलावा बोकारो इस्पात संयंत्र मे दुर्घटना से मृतक कामगारो के मामलो मे किसी भी अधिकारी पर कोई कारवाई नही पिछले पांच सालो मे बीएसएल मे दुर्घटना से लगभग ’20 लोगो की मौत हुई है परंतु आज तक किसी भी अधिकारी या कार्मिको पर कोई भी कारवाई नही हुई है ।