Maithili Thakur-Sail-Day-24 जनवरी मैथिली ठाकुर के गीतों से झूमेगा बोकार
24 जनवरी सेल स्थापना दिवस पर भव्य कार्यक्रमों का गवाह बनेगा पुस्तकालय मैदान
सेल स्थापना दिवस पर लेजर शो में दिखेगा बोकारो स्टील प्लांट का इतिहास
सुप्रसिद्ध गायिका मैथिली ठाकुर के गीतों में झूमेगा बोकारो
सेक्टर पांच के पुस्तकालय मैदान में होगा कार्यक्रम का आयोजन
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बोकारो इस्पात नगर के इतिहास में पहली बार स्थापना काल से बोकारो के संघर्ष की कहानी लेजर शो के माध्यम से दिखेगी। 24 जनवरी को सेल स्थापना दिवस के अवसर पर इस बार शहर के सेक्टर पांच स्थित पुस्तकालय मैदान में बोकारो स्टील प्लांट की ओर से कार्यक्रम ऐतिहासिक होने वाला है। 15 मिनट के लेजर शो बोकारोवासियों के लिए यादगार बनेगा। इससे पूर्व इतने बड़े स्तर पर सेल का स्थापना दिवस समारोह आयोजित नहीं हुआ है। जिस कारण शहरवासियों में इस दिन को लेकर उत्साह चरम पर है। वहीं बोकारो स्टील प्लांट के अधिकारी निदेशक प्रभारी अमरेंदू प्रकाश के नेतृत्व में कार्यक्रम को सफल बनाने को लेकर दिनरात निरीक्षण कर रहे है।
लोक गायिका मैथिली ठाकुर के गीतों की बहेगी बयार
सुप्रसिद्ध लोकगायिका मैथिली ठाकुर सहित झारखंड के इंडियन आइडल फेम दिवस नायक सहित कई गायक-गायिका गीत-संगीत का कार्यक्रम पुस्तकालय मैदान में आयोजित होगा। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड(सेल) के 50 वर्ष पूरे होने कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। लोगों की भीड़ और आकर्षण को देखते हुए इस कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा के चाक चौबंद व्यवस्था किए गए है।कार्यक्रम को लेकर शहर के मोहन कुमार मंगलम स्टेडियम और सेक्टर 5 के लाइब्रेरी ग्राउंड को अच्छी तरह सजाया गया है। हर शहरवासियों को कार्यक्रम देखने में कोई परेशानी नहीं हो इसकी खास व्यवस्था की जा रही है।
Leaser show in BokaroSail-Bsl-Laser show in Bokaro
जानिएं बोकारो स्टील प्लांट के बारे में
बोकारो स्टील प्लांट की स्थापना रूस के सहयोग से वर्ष 1965 में हुआ। यह सार्वजनिक क्षेत्र का चौथा स्टील प्लांट है। शुरूआत में बोकारो स्टील प्लांट 29 जनवरी, 1964 को एक लिमिटेड कंपनी के तौर पर निगमित किया गया और बाद में तत्कालीन सरकार ने इसका सेल के साथ विलय कर दिया। पहले यह सेल की एक सहायक कंपनी बनी फिर में सार्वजनिक क्षेत्र लोहा और इस्पात कम्पनियां (पुनर्गठन एवं विविध प्रावधान) अधिनियम 1978 के अंतर्गत एक यूनिट बनाई गई। इस प्लांट का निर्माण कार्य 6 अप्रैल, 1968 को शुरू हुआ। यह प्लांट भारत के पहले स्वदेशी इस्पात कारखाने के नाम से शुमार है। इसमें अधिकतर उपकरण, साज-सामान तथा तकनीकी कौशल स्वदेशी ही है। कारखाने का 17 लाख टन इस्पात पिण्ड का प्रथम चरण 2 अक्टूबर, 1972 को पहली धमन भट्टी चालू होने के साथ ही शुरू हुआ तथा निर्माण कार्य तीसरी धमन भट्टी चालू होने पर 26 फरवरी, 1978 को पूरा हो गया। 40 लाख टन चरण की सभी यूनिटें चालू हो चुकी हैं और 1990 के दषक में आधुनिकीकरण से कारखाने की क्षमता बढ़ाकर 45 लाख टन तरल इस्पात की कर दी गई है।