Headlines

vedanta:वेदांता ईएसएल(ESL) में कैद भागाबांध को मुक्त करने की लड़ाई हुई शुरू

vedanta:वेदांता ईएसएल में कैद भागाबांध को मुक्त करने की लड़ाई हुई शुरू
भाजपा नेता डॉ प्रकाश ने छेड़ा कंपनी के विरूद्ध जंग,लोगों का जमकर मिल रहा साथ
स्थानीय विधायक और पूर्व विधायक पर लोगों का भरोसा उठा

‌Bokaro-बोकारो के अपर समाहर्ता को भागबांध मुक्ति का पत्र देते डॉ प्रकाश व अन्य
‌Bokaro-बोकारो के अपर समाहर्ता को भागबांध मुक्ति का पत्र देते डॉ प्रकाश व अन्य

Crossfluid.com

बोकारो(Bokaro) के सियालजोरी थाना क्षेत्र स्थित वेदांता ईएसएल(Vedanta ESL) कंपनी के कार्यप्रणाली के खिलाफ अब बोकारो के नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया है। पहले जहां चंदनकियारी (Chandankiary)के वर्तमान विधायक और पूर्व विधायक मोर्चा संभाला करते थे वहीं अब इन नेताओं से जनता का भरोसा इसलिए उठ चुका है क्योकि अब इनके माध्यम से जनता के अधिकारों की रक्षा नहीं हो पा रही है। जिस कारण 5 मई को जहां प्लांट में कार्य करने के दौरान मजदूर की मौत के बाद भारी हंगामा हुआ। वहां एक भी वर्तमान और पूर्व विधायक के कोई प्रतिनिधि तक मौजूद नहीं रहे। यही नहीं उन्होंने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने को लेकर कोई पहल तक नहीं की है।
भाजपा नेता डॉ प्रकाश और जयराम ने संभाला था मोर्चा
घटना के बाद भाजपा(BJP) के वरीष्ठ नेता डॉ प्रकाश ने मोर्चा संभाला। जिसके बाद लोगों की भीड़ जुटती चली और उन्होंने उपायुक्त बोकारो से लेकर मुख्य सचिव तक बात की। जिसके बाद प्रशासन हरकत में आई और अंत में फैसला हुआ। इसी क्रम में आंदोलनकारी जयराम महतो भी जनता के समर्थन से जमकर वेदांता ईएसएल के खिलाफ मोर्चाबंदी की। इसके साथ ही बोकारो विधायक बिरंची नारायण भी कर्नाटक में रहते हुए अपने प्रतिनिधि के रूप में संजय त्यागी को भेजकर अपनी भुमिका जताई। जिसके बाद कंपनी ने 15 लाख मुआवजा देने के साथ साथ नौकरी देने की बात मानी।
भागाबांध के आजाद कराने को लेकर डॉ प्रकाश मिले एसी से
अपने स्थापना काल से ही वेदांता ईएसएल कंपनी अपने चाहारदीवारी के अंदर भागाबांध गांव को अपने कब्जे में कर रखा है। यहां किसी भी व्यक्ति का प्रवेश बगैर वेदांता ईएसएल प्रबंधन के अनुमति के बगैर नहीं होती है। गांव प्रवेश करनेवाले रास्ते में कंपनी का गार्ड तैनात किया गया है। जिस कारण प्रत्येक आनेजानेवालों से पूछताछ की जाती है। यहां तक की इस गांव की आबादी करीब 1 हजार के आसपास है। लेकिन शादी विवाह के दौरान भी गांववालों को ग्रामीणों के रहमोकरम पर निर्भर रहना पड़ता है। उन्होंने इसके लिए उचित कार्रवाई की मांग की है।
1 हजार की आबादी कंपनी में कैद है
भागाबांध मौजा में तीन टोले हैं, इस गांव की आबादी करीब 1000 के करीब है। यहां महिला व पुरुष मतदाताओं की संख्या 275 है। एक एनपीएस स्कूल है, जहां गांव के दो पारा शिक्षक कार्यरत है। इसके अलावा एक आंगनबाड़ी केंद्र भी है। लेकिन सुविधा के नाम पर अब तक लोगों को मूलभुत सुविधाएं मयस्सर नहीं हुई है। लोकसभा व विधानसभा चुनाव के वक्त प्रत्याशी इस गांव में नहीं सकते, जिस कारण ग्रामीणों का दर्द सरकार तक नहीं पहुंच पाया है। जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का दंश झेल रहा है। गांव जाने के लिए आजतक सड़क नहीं बनी है। पगडंडियों के सहारे गांव के लोग इस गांव तक पहुंचते हैं।.
खतरे में है पूरा गांव
खतरे में है पूरा गांव इलेक्ट्रोस्टील कंपनी की चहारदीवारी में कैद इस गांव के लोगों ने बताया कि प्लांट में लगी बड़ी-बड़ी मशीनों के शोर से घर में हल्की बातें सुनाई नहीं देती। यही नहीं इस गांव के समीप एक अंसारी टोला है, जहां के गांव का मुख्यद्वार बंद किए जाने के कारण बच्चों को एनपीएस स्कूल जाने के लिए कटिंली तारों को पार करना पड़ता है। प्रदूषण से गांववासी परेशान